दोस्तों मुंह का कैंसर काफी ज्यादा गंभीर बीमारी है। शुरुआती दौर में इस बीमारी का पता ना चल पाया तो यह बीमारी आगे चलकर बहुत ही गंभीर रूप धारण कर लेती है और इसका उपचार करना भी काफी कठिन हो जाता है। भारत में सामान्य तौर पर पुरुषों में मुंह का कैंसर अधिक पाया जाता है। हालांकि महिलाओं में भी मुंह का कैंसर होने के केस देखे गए हैं लेकिन सभी प्रकार के कैंसर का 11% मुंह का कैंसर पुरुषों में पाया जाता है और सभी प्रकार के कैंसर का 4% कैंसर महिलाओं में पाया जाता है।
यह कैंसर मुंह के अंदर होंट, गाल, जबड़ा, गर्दन और मसूड़ों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। इस कैंसर का सामान्य तौर पर पता तब चल पाता है जब यह कैंसर गर्दन तक फैल जाता है और लिंफ नोड्स इसकी चपेट में आ जाती है। तो आइए जानते हैं मुंह का कैंसर क्या है और इसे कैसे पहचाना जा सकता है। इसके साथ ही यहॉं आपको मुंह के कैंसर के उपचार के बारे में भी जानने को मिलेगा।
मुंह के कैंसर में निम्नलिखित शामिल है
मुंह का कैंसर आमतौर पर 40 वर्ष से ज्यादा के उम्र के लोगों को होता है। यह कैंसर मुंह में कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास की वजह से होता है। कोशिकाओं का यह अनियंत्रित विकास अक्सर मुंह के अंदर गाल, होठ, जीभ, जबड़ा और गर्दन को भी अपनी चपेट में ले लेता है। मुंह के कैंसर में यह सारी चीजें शामिल होती है। इन सभी का इलाज अगर तय समय पर नहीं कर लिया गया तो आगे चलकर बहुत सारी समस्याओं का सामना हमें करना पड़ सकता है।
डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि मुंह का कैंसर बहुत ज्यादा गंभीर हो जाने पर कैंसर से ग्रसित उस हिस्से को ही शरीर से अलग करना पड़ सकता है। ऐसे में मुंह के कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवा लेना चाहिए। यह भी सलाह दी जाती है कि साल में कम से कम एक बार डेंटिस्ट के पास जाकर अपने मुंह का चेकअप कर लेना चाहिए।
मुंह के कैंसर के लक्षण
मुंह का कैंसर आमतौर पर धूम्रपान करने वाले लोगों में ही पाया जाता है। जो लोग ज्यादातर धूम्रपान और मदिरापान करते हैं ऐसे लोगों को समय-समय पर अपने मुंह का चेकअप डेंटिस्ट के पास जाकर करवाते रहना चाहिए। यदि मुंह के कैंसर के लक्षणों की बात की जाए तो अगर होंठ या मुंह पर न ठीक होने वाला छाला दिखाई दे रहा है या मुंह कोई हिस्सा अचानक बढ़ रहा है या मुंह से खून आ रहा है या दांत ढीले हो रहे हैं या फिर मुंह में दर्द या खाना निगलने में कठिनाई हो रही है या फिर गर्दन में अचानक गांठ बन गई है या, फिर कान में दर्द हो रहा है, या फिर अचानक से वजन घट रहा है या फिर होंठ, चेहरा, गर्दन, या ठोड़ी सुन्न हो रहे हैं या फिर मुंह या होंठ में लाल और सफेद पैच दिखाई दे रहे हैं या फिर कभी कभी गले में खराश की तकलीफ हो रही है या फिर अक्सर आपका मुंह ड्राय हो रहा है या फिर जबड़ा में दर्द या कठोरता महसूस हो रही है या फिर जीभ में दर्द हो रहा है तो यह सारे लक्षण मुंह के कैंसर की ओर संकेत करते हैं।
हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि अगर आपको ऐसी कुछ तकलीफ हो रही है या लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो आपको मुंह का कैंसर ही होगा लेकिन आपको तुरंत जाकर ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर के पास चेकअप करवा लेना चाहिए।
मुंह के कैंसर के कारण और स्टेजेस
आमतौर पर जो लोग बहुत ही ज्यादा धूम्रपान करते हैं उनके ही मुंह में कैंसर होने की संभावनाएं बनती है। ऐसा देखा गया है कि सिगरेट, सिगार और पाइप सिगरेट पीने वाले लोगों में ही ज्यादातर मुंह के कैंसर की समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके अलावा जो लोग गुटका, तंबाकू और अन्य नशीली चीजों का सेवन करते हैं उन्हें भी मुंह का कैंसर होने की संभावनाएं दिखाई देती है।
मुंह के कैंसर की अलग-अलग स्टेज कौन सी हैं:
मुंह के कैंसर की पहली स्टेज में ट्यूमर लगभग 1 इंच तक बड़ा हो जाता है लेकिन लिंफ नोड को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। वहीं दूसरी स्टेज में ट्यूमर 1 से 2 इंच तक बड़ा हो जाता है। इस स्टेज में भी लिंफ नोड को कोई खतरा नहीं होता लेकिन तीसरी स्टेज में कैंसर 2 इंच तक ही बड़ा रहता है परंतु यह मुंह के अन्य हिस्से में फैलता नहीं लेकिन लिंफ नोड को नुकसान पहुंचा सकता है।
वहीं चौथी स्टेज की बात की जाए तो इस स्टेज में ट्यूमर मुंह के अंदर के अन्य हिस्से जैसे गाल जीव मसूड़े और गर्दन को भी निशाना बना लेता है और साथ ही साथ लिंफ नोड्स को भी अपनी चपेट में ले लेता है। ऐसे में अगर शुरुआती स्टेज में ही मुंह के कैंसर का चेकअप नहीं करवाया गया तो आगे चलकर यह आपके पूरे जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है।
मुंह के कैंसर का इलाज
आमतौर पर मुंह के कैंसर का इलाज सर्जरी के माध्यम से ही किया जाता है। सर्जरी के माध्यम से मुंह के कैंसर के इलाज में ट्यूमर को मुंह से अलग किया जाता है। यह ट्यूमर बाहर निकालने के लिए गर्दन या गाल में एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद की ट्यूमर को बाहर निकाल लिया जाता है और फिर वापस से पुनर्निर्माण के लिए मुंह का वह हिस्सा सिल दिया जाता है।
सर्जरी के अलावा रेडिएशन थेरेपी भी मुंह के कैंसर के इलाज में काफी ज्यादा कारगर है। इस थेरेपी में मुंह के अंदर उस हिस्से पर उपचार किया जाता है जहां पर ट्यूमर फैला हुआ है। थेरेपी के माध्यम से उस जगह पर स्वस्थ कोशिकाओं को डाल दिया जाता है। इस थेरेपी में बाहरी बीम रेडिएशन थेरेपी और ब्रैचीथेरेपी आमतौर पर इस्तेमाल की जाती है।
रेडिएशन थेरेपी के अलावा कीमोथेरेपी भी मुंह के कैंसर के उपचार में काफी ज्यादा कारगर साबित होती है। इस थेरेपी के माध्यम से शरीर की अन्य कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट कर दिया जाता है। यह थेरेपी एंटी सेंसर दवाओं का इस्तेमाल करके की जाती है। यूपी का इस्तेमाल करते हुए कीमोथेरेपी दबाव के इस्तेमाल से शरीर के सभी कैंसर कोशिकाओं को अलग-अलग स्टेज पर नष्ट कर दिया जाता है।
इसके अलावा टारगेटेड ड्रग थेरेपी भी मुंह के कैंसर को नष्ट करने में काफी ज्यादा उपयोगी है। थेरेपी को कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस थेरेपी के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को जड़ से नष्ट कर दिया जाता है और यह टारगेटेड रूप से कैंसर की उसी कोशिका को नष्ट करने में कारगर होती है।
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