इस बीमारी में व्यक्ति के नाक के अंदर छोटी सी मांस की गांठ बन जाती है। मां की यह छोटी सी गांठ शुरुआत में तो कोई परेशानी नहीं देती परंतु जैसे ही इसका आकार बढ़ने लगता है तो व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और साथ ही साथ सूंघने की भी क्षमता कम होने लगती है।
वहीं कुछ लोगों को इस गांठ की वजह से इंफेक्शन की बीमारी हो जाती है। बता दें कि यह गांठ व्यक्ति को दवाइयों के प्रति संवेदनशीलता, अस्थमा, एलर्जी के दोबारा होने और किसी प्रकार के इंफेक्शन से होती है।
शुरुआती स्तर पर इस गांठ से व्यक्ति को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती परंतु आगे चलकर यह बहुत बड़ी परेशानी बन सकती है। यह बीमारी सामान्य बीमारी है। यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक पाई जाती है।
क्या होते हैं लक्षण
इस बीमारी के सामान्य लक्षण आप बहुत जल्दी पहचान सकते हो। यह बीमारी होने पर आपको सुनने में दिक्कत आ सकती है और साथ ही साथ आपके चेहरे और सिर में दर्द हो सकता है। अन्य लक्षणों की बात की जाए तो इस बीमारी के तहत आपको ऊपर के दांतो में भी दर्द होने लगता है। वही आपको चीजों की सुगंध लेने में भी दिक्कत आ सकती है। आप की सुनने की क्षमता कम हो जाती है।
वही आंखों के पास खुजली भी होने लगती है। नाक बहना भी इस बीमारी के लक्षणों में से एक है और सोते वक्त यदि आपको खर्राटे काफी अधिक मात्रा में आ रहे हैं तो आपको तुरंत ही नेजल पॉलिप की जांच किसी चिकित्सक के पास जाकर करवाना चाहिए।
इन कारणों से बढ़ता है नोजल पॉलिप्स का खतरा
वैसे तो इस बीमारी का अभी तक किसी भी विशेषज्ञ के द्वारा सटीक कारण पता नहीं लगाया जा सका है। परंतु कुछ ऐसे कारण हैं जिनके कारण यह बीमारी बढ़ने की संभावना रहती है। बताया जाता है कि जिन लोगों को अस्थमा की बीमारी है उन लोगों को सांस की नली में सूजन और दर्द होने लगता है और साथ ही साथ नाक में गांठ होने लगती है।
शरीर में एस्प्रिन सेंसटिविटी की अवस्था पैदा होने पर भी नाक में एक गांठ होने की संभावना है बन जाती है। सिस्टिक फाइब्रोसिस भी नाक के मांस बढ़ने का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
इस अवस्था में व्यक्ति के नाक से चिपचिपा और तरल द्रव बहने लगता है। इसके साथ इस बीमारी के और भी कई सारे अन्य कारण हो सकते हैं जिन्हें ऊपर सूचित नहीं किया गया है।
इस तरीके से इस बीमारी से बच सकते हैं
इस बीमारी के होने का सटीक कारण पता नहीं चल पाने से इसके बचाव का भी कोई सटीक उपाय नहीं बताया जा सकता। परंतु कुछ उपाय ऐसे हैं जिसको करने से शायद आप इस बीमारी से बच सकते हैं। पहला उपाय यह है कि आपको अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिए। ऐसा करने से आप बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन से अपनी नाक का बचाव कर सकते हैं।
यदि आप कहीं धूल मिट्टी वाली जगह पर जा रहे हैं तो अपनी नाक पर कपड़ा या मास्क अवश्य लगाएं क्योंकि हो सकता है कि हवा में कई बार कुछ उत्तेजक पदार्थ भ्रमण करते रहते हैं और वह आपके नाक के माध्यम से अंदर जाकर आपको इस बीमारी की ओर ढकेल सकते हैं। इसके साथ ही यदि आप अस्थमा या किसी प्रकार की एलर्जी से ग्रसित है तो डॉक्टर के पास उसका तुरंत इलाज करवाइए क्योंकि अस्थमा या किसी प्रकार के एलर्जी से भी इस बीमारी को बढ़ावा मिलता है।
क्या हो सकता है इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए शुरुआत में चिकित्सक आपको कुछ दवाइयों के माध्यम से ठीक करने का प्रयास करेंगे। परंतु अधिक जटिल समस्या होने पर आपको सर्जरी के माध्यम से इस बीमारी का इलाज करवाना पड़ेगा। शुरुआत में आपको नेजल पॉलिप है या नहीं यह जांच करने के लिए डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट सिस्टिक फाइब्रोसिस और नोजल एंडोस्कोपी जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से इस बीमारी की जांच करते हैं।
यदि आप को इन सभी टेस्ट से होकर गुजरने पर बीमारी का पता चल जाता है तो तुरंत इसका उपचार करवाना चाहिए।
किस चिकित्सक के पास कराए उपचार
वैसे तो पूरे देश भर में इस बीमारी का उपचार करने के लिए कई सारे चिकित्सक और विशेषज्ञ है। परंतु हरियाणा के रोहतक में वी केयर हॉस्पिटल एक ऐसा अस्पताल है जहां पर इस बीमारी से निजात पाने के लिए विश्वस्तरीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
इस अस्पताल में डॉक्टर भूषण कथूरिया के नेतृत्व में कई सारे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम नेजल पॉलिप की बीमारी से आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए निपटने में माहिर है। इसके साथ ही इस अस्पताल में इस गंभीर बीमारी का इलाज काफी कम खर्च पर किया जाता है इसलिए गरीब से गरीब व्यक्ति भी यहां पर आकर अपना उपचार करवा सकता है।