वॉइस बॉक्स कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस बीमारी का उपचार भी काफी जटिल है। इस बीमारी को समझने से पहले जानते हैं कि आखिर वॉयसबॉक्स होता क्या है।
वॉइस बॉक्स को स्वर यंत्र भी कहा जाता है। यह वॉयसबॉक्स हमारे गले में स्थित होता है। जहां से हमारे गले की भोजन नली और श्वसन नली विभाजित होती है उसके ठीक ऊपर वाले बिंदु पर यह वॉइस बॉक्स बना हुआ होता है। इस वॉयसबॉक्स के माध्यम से ही हमारी आवाज गले से निकलती है। हमारे स्वर यंत्र में दो मुख्य तार होते हैं जिसे वोकल कार्ड कहा जाता है।
सामने के वोकल कार्ड को एडम्स एप्पल कहते हैं। इस पेशी बैंड को हम अपने हाथों से अपने गले के ऊपर गांठ के रूप में महसूस कर सकते हैं। हमारे गले में मौजूद स्वर यंत्र तीन हिस्सों में विभाजित होता है। जिसमें पहला हिस्सा सुपरग्लोटिस कहां जाता है जो वोकल कार्ड के ठीक ऊपर वाला हिस्सा होता है। स्वर यंत्र का दूसरा हिस्सा ग्लोटिस कहा जाता है जो मुख्य मुखर डोरियों वाला हिस्सा होता है। वहीं तीसरा हिस्सा सबग्लोटिस कहा जाता है यह हिस्सा मुखर डोलियों के ठीक नीचे होता है। वॉइस बॉक्स कैंसर को लैरिंजीयल कैंसर भी कहा जाता है। यह कैंसर स्वर यंत्र के फ्लैट सेल लाइनिंग में उत्पन्न होता है।
वॉइस बॉक्स कैंसर के लक्षण
वॉइस बॉक्स कैंसर या लैरिंजीयल कैंसर के सामान्य लक्षणों की बात की जाए तो अगर आपको अपनी आवाज में बदलाव महसूस हो रहा है या फिर आवाज में करकश आ रही है तो यह स्वर यंत्र कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही अगर आपके गले में गांठ बन रही है या सूजन हो रही है तो यह भी स्वर यंत्र कैंसर का लक्षण हो सकता है।
इसके अलावा अगर आपको चबाने या निगलने में कठिनाई हो रही है तो आपको इस लक्षण को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अगर आपके कान में लगातार दर्द हो रहा है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाना चाहिए।
कुछ मामलों में सांस भूलने जैसी समस्या भी स्वर यंत्र कैंसर का ही लक्षण हो सकती है। यह सभी स्वर यंत्र कैंसर के सामान्य लक्षण है। आमतौर पर देखा जाता है कि स्वर यंत्र कैंसर के लक्षणों में आवाज ही बदल जाती है। अगर आपको अपनी आवाज बदलने की समस्या 3 हफ्ते या उससे ज्यादा तक हो रही है तो आपको तुरंत जाकर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
स्वर यंत्र कैंसर के शुरुआती लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए वरना यह आगे चलकर गंभीर रूप धारण कर लेता है।
वॉइस बॉक्स कैंसर के कारण
स्वर यंत्र कैंसर आमतौर पर 40 वर्ष से ज्यादा के उम्र वाले लोगों में पाया जाता है। हालांकि स्वर यंत्र कैंसर के होने के पीछे की असली वजह क्या है इसका अभी तक कोई ज्ञात कारण नहीं पता चल पाया है। लेकिन फिर भी सामान्य रूप से देखा जाए तो एक अध्ययन से पता चला है कि धूम्रपान करने वाले शराब पीने वाले लोगों को स्वर यंत्र कैंसर का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा मानव पोपीलोमा वायरस संक्रमण भी स्वर यंत्र कैंसर का कारण बन सकता है। इसके साथ ही अगर आपका आहार ठीक नहीं है तो आपको स्वर यंत्र कैंसर होने की संभावनाएं बनती है।
कुछ मामलों में पारिवारिक इतिहास यानी अनुवांशिक तौर पर भी स्वर यंत्र कैंसर होने की संभावना रहती है। शरीर में हो रहा आमला प्रवाह भी स्वर यंत्र कैंसर की उत्पत्ति का कारण बन सकता है। ऐसे में आपको हमेशा अपने आहार और चिन्हित किए गए उपरोक्त सभी कारणों को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए। जितना ज्यादा हो सके धूम्रपान से बचना चाहिए।
वॉइस बॉक्स कैंसर के उपचार
स्वर यंत्र कैंसर का उपचार इस कैंसर के होने के बाद की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप का कैंसर प्रारंभिक चरण में है तो उपचार की पद्धति अलग हो सकती है। वही आप अगर इस कैंसर की गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं तो इसके लिए भी उपचार की अलग पद्धति होती हैं। आम तौर पर देखा जाए तो रेडियो थेरेपी, कीमो थेरेपी और सर्जरी के माध्यम से ही वॉइस बॉक्स कैंसर यानी स्वर यंत्र कैंसर का उपचार किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसे इन पद्धतियों का उपयोग करके स्वर यंत्र कैंसर का उपचार किया जाता है।
अगर आपको स्वर यंत्र कैंसर की पुष्टि प्रारंभ में ही हो जाती है तो प्रारंभिक स्तर पर रेडियोथैरेपी और एंडोस्कोपी का इस्तेमाल करते हुए सर्जरी के माध्यम से इसका उपचार किया जाता है। लेकिन अगर स्वर यंत्र कैंसर विकसित स्तर पर पहुंच जाता है तो रेडियोथैरेपी के साथ कीमोथेरेपी का इस्तेमाल करते हुए स्वर यंत्र कैंसर का उपचार किया जाता है।
रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के अलावा सर्जरी के माध्यम से भी स्वर यंत्र कैंसर का उपचार किया जाता है। सर्जरी के माध्यम से स्वर यंत्र कैंसर में मौजूद ट्यूमर को बाहर निकाल लिया जाता है। आमतौर पर यह आंशिक रूप से किया जाता है लेकिन अगर ट्यूमर का साइज काफी बड़ा है तो पूरे स्वर यंत्र को ही बाहर निकाल लिया जाता है। लेकिन हृदय रोग और अन्य बीमारियों वाले लोगों में आमतौर पर कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी से ही इसका उपचार किया जाता है।
इसके अलावा हाल ही में अविष्कार की गई प्रोटोन थेरेपी भी स्वर यंत्र कैंसर के लिए बहुत ही उपयुक्त इलाज है। इस तकनीक में पेंसिल लेजर बीम के माध्यम से मौजूदा ट्यूमर को नष्ट करने का काम किया जाता है। यह पेंसिल बीम होने के कारण आसपास के जो स्वस्थ उतक होते हैं उसको किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। ऐसे में प्रोटोन थेरेपी भी स्वर यंत्र कैंसर के उपचार के लिए बहुत ही उपयुक्त थेरेपी है।
रोहतक में वी केयर हॉस्पिटल एक ऐसा संस्थान है जहां पर हेड एंड नेक कैंसर के लिए अति विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम है। इस टीम का नेतृत्व डॉक्टर भूषण कथूरिया कर रहे हैं। डॉक्टर भूषण कथूरिया ने अमेरिका से हेड एंड नेक कैंसर के बारे में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस हॉस्पिटल की विशेषता है कि यहां पर हेड एंड नेक कैंसर के रोगियों को विश्वस्तरीय इलाज प्रदान किया जाता है और साथ ही कम खर्च में रोगियों का इलाज किया जाता है।