क्या होता है जीभ का कैंसर ?
यह कैंसर आपके जीव की कोशिकाओं में हो सकता हैं। यह कैंसर होने पर आपकी जीभ की कोशिकाओं में घाव याद रखना होने लगता है। जीव का कैंसर होने पर व्यक्ति को जीभ की हलचल करने में काफी दिक्कत होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को गले में दर्द होने लगता है और भोजन निगलने में भी तकलीफ होने लगती है और साथ ही मुह का जबड़ा हिलाने में भी व्यक्ति को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
किसी मामले में कैंसर हो जाने पर व्यक्ति को बोलने में भी काफी दिक्कत आती है क्योंकि जीत किसी भी प्रकार की हलचल नहीं कर पाती और यदि कर दी पाती है तो व्यक्ति को काफी दर्द होता है। आमतौर पर जीभ का कैंसर धूम्रपान करने वाले और शराब पीने वाले लोगों को होता है।
इसके साथ ही जो लोग धूम्रपान और शराब नहीं पीते उनको कुछ जेनेटिक कारणों की वजह से जीभ का कैंसर हो सकता है। जीभ का कैंसर होने पर कौन-कौन से शुरुआती लक्षण होते हैं और इन्हें कैसे पहचाना जाए और इसके लिए कौन सी ट्रीटमेंट या उपचार किया जाए, हम इस लेख में जानेंगे।
जीभ के कैंसर के प्रकार
सामान्य तौर पर जीभ के कैंसर दो प्रकार के होते हैं। पहला जीभ का कैंसर जीत के बाहर वाले हिस्से में होता है जो हमारे मुंह के अंदर होता है। जीत का दो तिहाई हिस्सा जिसे हम मुंह खोलने पर देख सकते हैं उस पर होने वाला कैंसर पहले प्रकार में आता है। यदि जीभ के इस बाहर वाले हिस्से पर कैंसर हुआ है तो इसे सामान्य ट्रीटमेंट के जरिए तुरंत ठीक कर लिया जा सकता है।
जिसके लिए छोटा-मोटा ऑपरेशन करने की आवश्यकता पड़ती है और यह ऑपरेशन ज्यादा गंभीर नहीं होता।
जीभ के कैंसर का दूसरा प्रकार जीत के पिछले हिस्से में यानी गले के अंदर वाले हिस्से में पाया जाता है। बता दें कि जीभ का एक तिहाई हिस्सा पीछे वाला होता है यानी गले के अंदर वाला हिस्सा होता है जो हमें दिखाई नहीं देता। आमतौर पर इस हिस्से की कोशिकाओं में कैंसर या की उम्र हो जाने पर व्यक्ति को पता ही नहीं चलता और जब पता चलता है तब यह कैंसर इसकी एडवांस स्टेज पर आ जाता है।
जीभ के इस पिछले वाले हिस्से पर कैंसर होने पर यह आप की गले की लिंफ नोड्स को प्रभावित कर सकता है।
जीभ के कैंसर के लक्षण
आमतौर पर यदि जीभ का कैंसर आपके गले के अंदर हुआ है यानी जीत के पिछले हिस्से पर हुआ है तो इसके लक्षण व्यक्ति को दिखाई नहीं देते हैं। परंतु जीव के अगले हिस्से पर यदि कैंसर हो गया है तो इसके कुछ लक्षण दिख सकते हैं जिसे हम बताने जा रहे हैं।
जीभ का कैंसर होने पर जीभ के ऊपर लाल या सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। जीभ में काफी दर्द होने लगता है और जीभ की कोशिकाओं में घाव हो जाता है जिसके कारण जीभ को हलचल करने में भी काफी दिक्कत होती है। जीभ का कैंसर होने पर व्यक्ति के दांत में दर्द हो सकता है और गले में भी दर्द हो सकता है। इसके साथ ही यदि आपके कान में दर्द हो रहा है तो यह भी जीभ के कैंसर के कारण हो सकता है।
कुछ मामलों में जीभ पर गांठ हो जाती है तो कुछ मामले में गर्दन में गांठ महसूस होती है। जीभ का कैंसर होने पर मुंह काफी देर तक सुन्न रह सकता है। यदि आपके जीभ पर कोई छाला है और उसमें से लगातार खून बह रहा है तो यह भी जीभ के कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही आपके पूरे मुंह में लगातार दर्द होना भी जीभ के कैंसर को सूचित करता है।
जीभ का कैंसर होने के कारण
जीभ का कैंसर होने के पीछे कोई सटीक कारण तो आज तक पता नहीं लगाया जा सका है। परंतु इस कैंसर होने के पीछे कुछ कारणों का आकलन किया गया है। ऐसे ही कुछ कारणों को हम आगे सूचित करने जा रहे हैं।
बता दे की जीभ का कैंसर होने के पीछे सामान्य तौर पर धूम्रपान और शराब का सेवन करना ही है। अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि धूम्रपान करने वाले और तंबाकू गुटखा खाने वाले लोगों को जीभ का कैंसर अधिक मात्रा में होता है। इसके साथ ही जो लोग शराब का सेवन लगातार और अधिक मात्रा में करते हैं उन्हें भी जीभ का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके साथ ही ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इनफेक्शन भी कुछ मामलों में जीभ का कैंसर होने का प्रमुख कारण बनता है। यदि आप किसी डेंटिस्ट के पास अपने दांतो का इलाज करवाने गए हो और वहां पर आपके दांतों में कुछ फीलिंग भरी गई हो तो उस फिलिंग के केमिकल से भी जीभ का कैंसर हो सकता है।
वहीं कुछ लोगों को नकली दांत के कारण जीभ का कैंसर हो सकता है। कुछ मामलों में खुर्दरे दांत होने की वजह से जीभ पर जख्म हो जाते हैं जिसके कारण भी जीभ का कैंसर हो सकता है। अक्सर कुछ लोग स्टेन सेल ट्रांसप्लांट करवाते हैं जिसके कारण भी जीभ का कैंसर होने की संभावनाएं बन सकती है।
जीभ का कैंसर होने से बचाव
जीभ का कैंसर होने से बचने के लिए आपको अपने मुंह की नियमित रूप से सफाई करते रहनी चाहिए। अच्छे दर्जे का ब्रश दांत साफ करने के लिए उपयोग करना चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि हम बहुत ही जड़ टूथ ब्रश का प्रयोग करते हैं जिसके कारण हमारे मसूड़ों में जख्म हो जाती है या फिर कभी कभी जीभ पर भी उसका घाव लग जाता है। ऐसे में जीव का कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए अच्छी और मुलायम टूथब्रश का उपयोग करें। इसके साथ ही दांत साफ करने के लिए फ्लेक्स यानी धागे का उपयोग करें। धूम्रपान करने वाले लोगों को धूम्रपान करने से बचना चाहिए क्योंकि अधिकतर मामलों में जीभ के कैंसर धूम्रपान करने वालों में ही पाए गए। इसके साथ ही शराब का सेवन करने वाले लोगों को भी शराब पीने से बचना चाहिए।
नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाते रहना चाहिए। साथ ही साथ एचपीवी का टीका भी लगाना चाहिए। क्योंकि जीभ के अंदर वाले हिस्से पर होने वाले कैंसर सामान्य तौर पर एचपीवी के कारण ही होते हैं।
कैसे होता है जीत के कैंसर का परीक्षण
यदि आपको जीभ का कैंसर होने पर संदेह है तो आप डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएंगे। सबसे पहले डॉक्टर आपको कुछ सवाल पूछेंगे जैसे कि आपके परिवार से जुड़े किसी व्यक्ति को जीभ का कैंसर हुआ है या नहीं पूर्व या इस पर से यह पता लगाया जा सकता है कि जीभ का कैंसर अनुवांशिक है या नहीं। साथ ही साथ आप से धूम्रपान के विषय में भी सवाल पूछे जा सकते हैं।
जीभ के कैंसर का संदेह होने पर डॉक्टर आपको बायोस्पी टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। इस टेस्ट के माध्यम से जीभ का उचित परीक्षण किया जाता है और जीभ के प्रभावित हिस्से का एक सैंपल लिया जाता है। बाद में इस सैंपल को लेबोरेटरी में टेस्ट करवाया जाता है और यदि इसमें कैंसर की पुष्टि होती है तो आपको डॉक्टर की ओर से सीटी स्कैन और एमआरआई की सलाह दी जाती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि हो सकता है शायद शरीर के अन्य हिस्सों में भी इस कैंसर के प्रभाव दिखाई दे। ऐसे में यदि आप सिटी स्कैन और एमआरआई कर लेते हैं तो शरीर के अन्य हिस्सों में भी कैंसर होने या ना होने की पुष्टि हो जाती है।
जीभ का कैंसर होने पर इलाज
जीभ का कैंसर होने पर इलाज किस प्रकार का होता है यह तो कैंसर के प्रभाव को देखकर ही तय किया जाता है। यदि आपका कैंसर अपने शुरुआती स्टेज में है तो सामान्य सर्जरी करते हुए इसका इलाज कर दिया जाता है परंतु यदि यह एडवांस स्टेज में पहुंच गया है तो इसके लिए अन्य कई सारी प्रक्रियाएं हैं जिसे हम आगे बताएंगे।
जीभ का कैंसर यदि शुरुआती स्तर पर है तो इसे सर्जरी के माध्यम से यानी ऑपरेशन करके निकाला जा सकता है। ऐसे देखा जाता है कि जीभ के किस हिस्से पर ट्यूमर है तो उस हिस्से पर सर्जरी करते हुए वह इस अजीब से अलग कर दिया जाता है। परंतु यदि काफी अधिक हिस्सा ट्यूमर से प्रभावित है तो ऐसे में पार्शल ग्लोसेक्टोमी की जाती है। यह भी एक प्रकार की सर्जरी होती है परंतु यह थोड़ी क्रिटिकल सर्जरी होती है।
इस सर्जरी में जीभ के एक पूरे हिस्से को ही निकाल कर जीभ से अलग कर दिया जाता है। पार्शल ग्लोसेक्टोमी का उपचार करने के बाद अगले स्तर पर रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की जाती है। इसमें शरीर के अन्य हिस्से का ऊतक निकाल कर जीभ के उस हिस्से से जोड़ दिया जाता है जहां से ट्यूमर ग्रसित हिस्से को निकाला गया है। ऐसा करने के पीछे का मुख्य लक्ष्य केवल पूरे मुंह को जीभ के कैंसर से क्षतिग्रस्त होने से बचाना है।
कीमोथेरेपी के द्वारा भी कुछ मामलों में जीभ के कैंसर का उपचार किया जाता है। कीमोथेरेपी का रेडिएशन थेरेपी के साथ संयोजन करते हुए जीभ के कैंसर ग्रसित क्षेत्र को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। कीमोथेरेपी के लिए अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती है जिससे कीमोथेरेपी का असर ट्यूमर के आगे कम ना हो पाए।
जीभ के कैंसर का एक और उपचार इनकोलॉजिस्ट तकनीक के द्वारा भी किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से जीभ के कैंसर ग्रसित ऊतक को रेडिएशन के माध्यम से नष्ट किया जाता है और उसके जगह पर स्वास्थ्य ऊतक डाल दिए जाते हैं।
टारगेटेड ड्रग थेरेपी के माध्यम से भी जीभ के कैंसर का उपचार किया जाता है। जानकारी के अनुसार इस थेरेपी के माध्यम से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर ग्रसित कोशिकाओं के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित किया जाता है। वही कैंसर से ग्रसित कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के लिए भी यह थैरेपी हस्तक्षेप करती है। इस थेरेपी के माध्यम से उपचार कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का संयोजन करते हुए किया जाता है।